Thursday 8 July 2021

गामा पहलवान को किसने हराया?

 गामा पहलवान को गूगल कीजिये, तो आपको बताया जाएगा कि गामा पहलवान, जीवन में किसी से नहीं हारे – लेकिन ये सत्य नहीं है| 


गामा पहलवान का असली नाम ग़ुलाम मुहम्मद बख्श था| 

भारत विभाजन के बाद, ये पाकिस्तान में बस गए थे| बडौदा के संग्रहालय में एक पत्थर रखा है, जिसका वजन 1200 किलो है| 

23 दिसम्बर 1902 को इतने भारी पत्थर को उठा कर, गामा पहलवान कुछ कदम चले थे| 

एक अकेले आदमी के 1200 किलो का पत्थर उठाने का अजूबा करने वाले, पहलवान का नाम था, गामा पहलवान| 

आज भी वो पत्थर बड़ौदा में रखा हुआ है... 

लेकिन उस गामा पहलवान को जिसे दुनिया में कोई नहीं हरा सका, उसे हराया, मथुरा के प्रसिद्ध पहलवान चन्द्र सेन टिक्की वाले ने (मथुरा के प्रसिद्ध मोहन पहलवान के पिता)|


ये सारा किस्सा आपको इन्टरनेट पर नहीं मिलेगा... क्योंकि इन्टरनेट पर सब कुछ उपलब्ध नहीं है| 

मथुरा के प्रसिद्ध बलदेव पहलवान ने, अपनी उम्र बढ़ने के कारण मथुरा के ही, चन्द्र सेन टिक्की वाले को बोला कि तुम अभी जवान हो, तुम जाकर गामा पहलवान से लड़ो|  

चंद्रसेन टिक्की वाले ने कहा कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है, बुखार है| 

मैं नहीं जा पाऊँगा कलकत्ता लड़ने... 

तो बलदेव जी ने कहा कि तुम्हारे लंगोट पर मैं 5000 रूपये (उस समय के) लगाता हूँ|... 

ये सुनकर, चंद्रसेन टिक्की वाले जोश में आ गए और बोले अब तो गुरु (गुरु, ब्रज में मित्र और गुरु या जानकार, किसी को भी कह देते हैं) जाना ही पड़ेगा| 


चन्द्र सेन टिक्की वाले, कलकत्ता पहुँच गये और गामा पहलवान से कुश्ती की बात रख दी....

पर खरीद फरोक्त खेलों में आज ही नहीं, पहले भी होती थी और उनको भी कहा गया कि तुम मत लड़ो (चन्द्र सेन टिक्की वाले, लम्बाई चौड़ाई में, गामा पहलवान से दुगुने नहीं तो डेढ़ गुने तो रहे ही होंगे) पर चन्द्र सेन पहलवान ने मना कर दिया कि वो जुबान दे कर आये हैं, लड़ कर ही जायेंगे| 


कुश्ती शुरू हुई, अखाड़ा सजा| 

कुश्ती शुरू होते ही, गामा पहलवान ने ऐसा दाँव खेला कि चन्द्रसेन पहलवान का अंगूठा चीर दिया (अंगूठे और हाथ को पकड़ कर, खींच दिया) और वहाँ दंगल में खून ही खून हो गया| चंद्रसेन जी को ये बात समझ नहीं आई कि कुश्ती में, ऐसा काम नहीं किया जाता है और ये कैसी कुश्ती थी...

उन्होंने फिर एक ही दाँव खेला और ऐसा खेला कि गामा पहलवान उसी एक दाँव में बेहोश| 


लोग बड़े खुश हुए, कि जिस पहलवान को पूरे भारत में कोई नहीं हरा पाया, उसे मथुरा के एक पहलवान ने हरा दिया| 

पूरे कलकत्ता में जुलूस निकला| 

दानदाता और खेल के प्रशंसको ने पेटियाँ खोल दी और लाखो रूपये का इनाम चन्द्र सेन टिक्की वाले को मिला| 

कहते हैं, उन्होंने वापिस मथुरा आकर, 16 कोठियाँ या मकान खरीदे|


तो जिसने 1200 किलो का पत्थर उठा लिया और पूरे भारत और दुनिया में रुस्तमे हिन्द (कैसे ये हार छुप गयी, पता नहीं) और रुस्तमे जहाँ का खिताव जीता उसे चन्द्र सेन टिक्की वाले ने हरा दिया... 

तो चन्द्र सेन टिक्की वाले कौन हुए? 

बली? 

नहीं! वो हुए बलिष्ठ| 

बलियों में भी बली, बलिष्ठ यानि महाबली आप कह सकते हैं| 

ऐसे ही वशिष्ठ माने क्या? जो वशियों में (इन्द्रियों आदि को वश में करने वाले) श्रेष्ठ हैं, वो वशिष्ठ हैं| 

ऐसे ही धर्मिष्ठ कौन? 

धर्म में जो श्रेष्ठ हों वो धर्मिष्ठ| 

महिष्ठ माने जो महानो में भी महान हैं वो महिष्ठ और जो गुरुओं में भी गुरु हो वो हुए गरिष्ठ| 

अब मजेदार बात ये है कि आप गूगल करेंगे तो आपको चन्द्रसेन टिक्की वाले के बारे में एक लाइन भी नहीं मिलेगी,

अब ये सब बातें मुझे कैसे पता चली तो इसका सार ये है कि –

ज्यों केले के पात में, 

पात पात में पात,

त्यों संतन की बात में, 

बात बात में बात |

साभार

Tuesday 19 January 2021

 तुम ने बदले हम से गिन गिन के लिये

हमने क्या चाहा था इस दिन के लिये            - दाग़


वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसर

दिन गिने जाते थे इस दिन के लिये              - अमीर मीनाई


(वस्ल = मिलन), (मुख़्तसर = थोड़ा, कम, संक्षिप्त)


वो नहीं सुनते हमारी, क्या करें

माँगते हैं हम दुआ जिन के लिये                    - दाग़


चाहने वालों से गर मतलब नहीं

आप फिर पैदा हुए किन के लिये                   - दाग़


बाग़बाँ, कलियाँ हों हलके रंग की

भेजनी हैं एक कमसिन के लिये                    - अमीर मीनाई


(बाग़बाँ = माली)


-दाग़ देहलवी/ अमीर मीनाई

 हँस कर कुबूल क्या कर ली, हर सजा हमने l

    दस्तूर बना लिया दुनिया ने भी इल्जाम लगाने का!

Wednesday 21 August 2019

What is INX media case

पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम पर INX मीडिया केस में गिरफ्तार की तलवार लटक गई है. मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट से चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद मंगलवार शाम को सीबीआई की टीम उनके घर पहुंची लेकिन वह घर पर नहीं मिले. कांग्रेस नेता अब जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं जिसपर बुधवार को सुनवाई होनी है.
यह पूरा मामला आईएनएक्स मीडिया को फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड (FIPB) से गैर कानूनी तौर पर मंजूरी दिलवाने से जुड़ा है जिसमें मीडिया ग्रुप ने साल 2007 में करीब 305 करोड़ का विदेशी निवेश हासिल किया था. पी चिदंबरम उस दौरान यूपीए-2 सरकार में वित्त मंत्री थे. इस केस में 15 मई 2017 में सीबीआई ने FIPB मंजूरी में अनियमिताओं के चलते FIR दर्ज की थी. इसके बाद 2018 में ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज किया.
इंद्राणी मुखर्जी और उनके पति पीटर मुखर्जी जो कि 2007 में आईएनएक्स मीडिया के सह संस्थापक थे, दोनों पर इस पूरे घोटाले को अंजाम देने का आरोप है. कार्ति चिदंबरम पर भी इस साजिश में शामिल होने के आरोप हैं जिनके पिता उस दौरान देश के वित्त मंत्री थे.
साल 2018 में इंद्राणी मुखर्जी ने सीबीआई को अपने बयान में कहा कि उन्होंने इसके लिए कार्ति के साथ डील की थी. पिछले महीने ही दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अन्य मामले- शीना वोरा मर्डर केस की मुख्य आरोपी इंद्राणी को INX केस की अप्रूवर बना दिया था. पिछले साल फरवरी में कार्ति को इस मामले में गिरफ्तार भी किया गया और मार्च में उन्हें जमानत मिल गई. कार्ति और उनके पिता चिदंबरम से ED कई बार इस केस में पूछताछ कर चुकी है.
प्रवर्तन निदेशालय ने कार्ति चिदंबरम से जुड़ी 54 करोड़ की संपत्ति को भी अटैच किया है. साथ ही पीटर और इंद्राणी की संपत्तियां भी अटैच की गई हैं. आगे पढ़ें कि इस केस में अब तक क्या-क्या हुआ है.
कब-कब क्या हुआ?
15 मई 2017: सीबीआई ने इस केस में FIR दर्ज की जिसमें INX मीडिया के लिए FIPB मंजूरी में अनियमिताओं का आरोप था. साल 2007 में 305 करोड़ का विदेशी फंड मीडिया ग्रुप को मिला जब कार्ति के पिता चिदंबरम वित्त मंत्री थे.
16 जून 2017: कार्ति के खिलाफ FRRO ने लुक आउट नोटिस जारी किया.
10 अगस्त 2017: मद्रास हाई कोर्ट ने कार्ति और 4 अन्य लोगों के खिलाफ जारी इस लुक आउट नोटिस पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि इनके खिलाफ अभी वारंट जारी नहीं हुआ है.
14 अगस्त 2017: सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए केंद्र को लुक आउट नोटिस जारी करने की मंजूरी दे दी.
18 अगस्त 2017: सुप्रीम कोर्ट ने कार्ति चिदंबरम को 23 अगस्त तक सीबीआई के सामने पेश होने का आदेश दिया.
11 सितंबर 2017: सीबीआई ने जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट को बंद लिफाफे के भीतर विदेश में कार्ति के संभावित लेनदेन से जुड़ी जानकारी दी.
22 सितंबर 2017: सीबीआई ने कोर्ट से कार्ति को विदेश जाने से रोकने की गुहार लगाई क्योंकि एजेंसी को शक था कि वह विदेश में अपने बैंक खाते बंद करा सकते हैं.
09 अक्टूबर 2017: कार्ति ने कोर्ट से बेटी का दाखिला कैब्रिज यूनिवर्सिटी में कराने के लिए ब्रिटेन जाने की इजाजत मांगी और कहा कि वह इस दौरान किसी भी बैंक में नहीं जाएंगे. साथ ही पी चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी सरकार उनके और बेटे कार्ति के खिलाफ राजनीतिक मंशा और बदले की भावना से काम कर रही है.  
20 नवंबर 2017: सुप्रीम कोर्ट ने बेटी के दाखिले के लिए कार्ति को ब्रिटेन जाने की इजाजत दे दी.
08 दिसंबर 2017: कार्ति ने एयरसेल-मैक्सिस डील में सीबीआई की ओर से जारी समन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
31 जनवरी 2018: सुप्रीम कोर्ट ने कार्ति के खिलाफ लुक आउट नोटिस पर रोक लगाने वाले मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को वापस कर दिया.
16 फरवरी 2018: कार्ति के CA एस. भास्कर रमन को गलत तरीके से पैसे कमाने में उनकी मदद के आरोप में गिरफ्तार किया गया.
28 फरवरी 2018: चेन्नई एयरपोर्ट से कार्ति को गिरफ्तार किया गया और फिर दिल्ली लाया गया. दिल्ली कोर्ट ने उन्हें एक दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया.
23 मार्च 2018: कार्ति को 23 दिन तक जेल में रहने के बाद जमानत मिल गई.
25 जुलाई 2018: हाई कोर्ट ने पी चिदंबरम की गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत याचिका को मंजूर कर लिया.
11 अक्टूबर 2018: INX मीडिया के मनी लॉन्ड्रिंग केस में ED ने कार्ति की 54 करोड़ की संपत्ति अटैच कर ली, जिसमें भारत, ब्रिटेन और स्पेन की संपत्ति शामिल थी.
11 जुलाई 2019: इंद्राणी मुखर्जी को कोर्ट ने शर्तों के साथ केस का अप्रूवर बना दिया.
01 अगस्त 2019: ईडी ने कार्ति को दिल्ली के जोर बाग स्थित घर खाली करने को कहा, जिसे एजेंसी पहले ही अटैच कर चुकी थी.
20 अगस्त 2019: दिल्ली हाई कोर्ट ने पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी जिसके बाद सीबीआई उन्हें गिरफ्तार करने पहुंची, लेकिन चिदंबरम अपने घर पर नहीं मिले और उनके फोन भी बंद पाए गए.


Wednesday 19 June 2019

International Yoga Day : Proud of India

भारत सरकार की वो पहल जिसे दुनिया ने अपनाया , UN को भी मानना पड़ा और 21 जून योग दिवस के रूप में  विश्व के इतिहास में दर्ज हो गया। ये किसी एक भारतीय की जित नहीं थी बल्कि भारतीय इतिहास की जित थी जिसे दुनिया ने माना।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस में कुछ ही दिन बचे हैं. अब तो दुनिया भर के लोग योग की तरफ उम्मीद से देखने लगे हैं. योग करना हर दिन की जरूरत है, लेकिन 21 जून के दिन ऐसा क्या खास है कि इसी दिन को इंटरनेशनल योगा डे चुना गया, यहां जानें वजह.

योग और भारत का   रिश्ता
योग भारत की प्राचीनतम खोजों में से एक है जिसकी उत्पत्त‍ि ही भारत में हुई थी. योग परंपरा तकरीबन 5000 साल पुरानी मानी जाती है. योग को हृदय और आत्मा के बीच सामंजस्य और संतुलन के साथ दिव्य ज्ञान प्राप्त करने के एक तरीके के रूप में डेवलप किया गया था.
आधुनिक समय में यह भी देखने में आ रहा है कि योग से मधुमेह यानी डाइबिटीज और हाई ब्लडप्रेशर जैसी बीमारियों का असर कम होता है. अब योग ने पश्चिमी दुनिया में भी अपना रास्ता खोज लिया है. अब भारत से बाहर दूसरी संस्कृतियों ने भी योग को अपना लिया है.

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: संक्षिप्त इतिहास
11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस या विश्व योग दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की. इसके बाद 2015 से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए योग के महत्व पर चर्चा की थी.

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस : साल दर साल ये रहे थीम
2015: सद्भाव और शांति के लिए योग Yoga for Harmony and Peace
2016: युवाओं को कनेक्ट करें Connect the youth
2017: स्वास्थ्य के लिए योग Yoga for Health
2018: शांति के लिए योग Yoga for Peace
2019: योगा फॉर हार्ट Yoga for Heart

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: 21 जून को मनाने की वजह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को अपने संबोधन के दौरान कहा कि यही वो तिथि है जब उत्तरी गोलार्ध में साल का सबसे लंबा दिन है, इसका दुनिया के कई हिस्सों में खास महत्व है.
21 जून ग्रीष्मकालीन संक्रांति का दिन होता है, इस दिन उत्तरी गोलार्ध में किसी ग्रह के अक्ष का झुकाव उस तारे की ओर सबसे अधिक झुका होता है जिसकी वह परिक्रमा करता है. हमारे मामले में यह पृथ्वी और सूर्य पर लागू होता है.
इसके अलावा 21 जून को वर्ष का सबसे लंबा दिन माना जाता है जिसमें सूर्य जल्दी उगता है और सबसे देर में सूर्यास्त होता है. भारतीय पौराणिक कथाओं में भी इसे खास दिन माना जाता है. इससे एक ऐसी घटना जुड़ी मानी जाती है जिसे योगिक विज्ञान की शुरुआत माना जा सकता है.
एक पौराणिक कथा के अनुसार सात लोग आदि योगी के पास आत्मज्ञान के लिए गए. लेकिन वे अपने शरीर में उपस्थित नहीं थे, इसलिए वे चले गए. फिर ये लोग शिव के पास गए और आदि योगी से सीखने की जिद पर अड़े रहे लेकिन शिव ने यह कहकर मना कर दिया कि इसके लिए लंबी तैयारी चाहिए.
वहां से निकलकर इन सात लोगों ने फिर 84 साल की साधना की. इस दौरान शिव का उन पर ध्यान गया, यह ग्रीष्मकालीन संक्रांति का दिन था. उसके 28 दिनों के बाद अगली पूर्णिमा पर आदि योगी ने खुद को आदि गुरु में बदल दिया और अपने शिष्यों को योग विज्ञान  सिखाना शुरू कर दिया.

अंत में यही कहना चाहूंगा की भारतीयों का , सनातन धर्म का जो मजाक उड़ाते थे , आज उन्हें भी मानना पड़ा की ये पूरी तरह से वैज्ञानिक है।  जो हमें सपेरों का देश  कहते थे आज योग को बेस्ट मेडिसिन मानते है। ये योग का ही तो कमल है की इसरो को भी मानना पड़ा की योगा बेस्ट मेडिसिन है।    

Tuesday 18 June 2019

चमकी(मुजफ्फरपुर) : मुजफ्फरपुर का शोक

ये तो पिछले कई सालो से होते आ रहा है , जाने तो जाती रहती है  , हमारे घर का कोई थोड़े मरा है।  ऐसी कुछ सोच है नेताओ की।  उनके घर के लोगो के साथ ऐसा नहीं हुआ है इसलिए उन्हें सबक नहीं मिला है इस बात का की जान जाने का क्या मतलब होता है।

मुजफ्फरपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में मासूमों की मौत का आंकड़ा 36 तक पहुंच चुका है. अस्पताल में फिलहाल 117 बच्चे भर्ती हैं जिनका लगातार इलाज चल रहा है.

एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम जिसे आम बोलचाल की भाषा में चमकी बुखार या दिमागी बुखार भी कहा जाता है, इसकी वजह से पिछले कुछ दिनों में इस अस्पताल में मासूम बच्चों के पहुंचने का दौर जारी है.

अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ सुनील कुमार शाही ने आजतक से बातचीत करते हुए बताया कि दो दिन पहले अचानक से 25 मासूम बच्चे जिनकी उम्र एक साल से लेकर 10 साल के बीच थी इस अस्पताल में भर्ती हुए. डॉ. शाही ने ने बताया कि अब तक 117 बच्चे इस अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं, जिनमें से 36 की अब तक मौत हो चुकी है.

डॉक्टरों का मानना है कि चमकी बुखार अत्यधिक गर्मी और हवा में नमी 50 फीसदी से ज्यादा होने की वजह से होता है. जानकारों का मानना है कि इस साल प्रदेश में अब तक बारिश नहीं हुई है, जिसकी वजह से मासूम बच्चों के बीमार होने की संख्या लगातार बढ़ रही है.

पिछले डेढ़ दशक से इस बात को लेकर भी काफी शोध हुआ है कि मुजफ्फरपुर में लीची की उपज काफी होती है. क्या इस वजह से तो बच्चों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम की शिकायत तो नहीं हो रही है. श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के शिशु विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ. गोपाल शंकर साहनी का कहना है कि उन्होंने खुद इस विषय को लेकर काफी शोध किया है और पाया है कि इस बीमारी का लीची से कोई लेना देना नहीं है.

हालांकि, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. सुनील कुमार शाही का कहना है कि इस बात को लेकर और शोध होना चाहिए कि कहीं लीची की वजह से तो बच्चों में सालाना यह बीमारी नहीं देखी जा रही है.

ये कोई नई बात नहीं है। अभी तक अगर सरकार चाहती तो इसका समाधान किया जा सकता था।  लेकिन इच्छाशक्ति की कमी है . हर साल इतने बचो की बलि चढ़ती है।  लेकिन अभी तक इस बीमारी का समाधान नहीं किया जसका है।  जो भी अस्पताल है वह पर वो रिसोर्सेज ही नहीं है जिससे बच्चो की जान बचाई जा सके।
मरीज जमीं पर लेट के इलाज करा रहे है , अस्पताल में पंखा नहीं है लेकिन सरकार को क्या।  उनके घर का कोई मरीज थोड़े न है। 

Saturday 8 June 2019

Kashmir 370 and 35A : The Wound of india

क्या है जम्मू-कश्मीर में लागू धारा 370,35A पूर्ण विवरण
Know about 370 act in Jammu
एक बार फिर से राजनीति गलियारे में धारा 370,35A को लेकर बहस छिड़ गयी है। कोई इसके पक्ष में है तो किसी के पास इसका विरोध करने के पर्याप्त आधार है। किसी को लगता है कि संविधान की इस धारा में संशोधन होना चाहिए तो किसी को यह बहस का मुद्दा लगता है।
यह बात उस समय की है जब देश का बिभाजन हुआ , और उसके बाद अलग अलग रजवाड़ो और रियासतों को हिंदुस्तान में विलय करने का आगाज हुआ , जिसकी जिम्मेदारी थी सरदार पटेल(तब के गृह मंत्री ) के कंधो पर।  अधिकतर रियासतों का विलय हिंदुस्तान  में हो गया ,लेकिन हैदराबाद के जो निज़ाम थे उन्होंने हिन्दुतान में विलय करने से मना कर दिया।  उनका कह था की वो हैदराबाद का विलय पाकिस्तान में करेंगे। तब  सरदार पटेल ने उन्हें मिलने के लिए दिल्ली बुलाया , वो आये और अपनी जिद्द पे अड़े रहे , और पटेल जी को अपनी  हनक दिखाने लगे।  
फिर  जो हुआ उनके हैदराबाद पहुंचने से पहले ही पटेल जी ने इंडियन आर्मी भेज के हैदराबाद को  अपने कब्जे में ले लिया। आख़िरकार  निजाम को माफ़ी मांगनी  पड़ी।  
जहा तक बात है कश्मीर की तो ये पाप नेहरू जी का किया हुआ है। सारी रियासतों को हिंदुस्तान में विलय कराने के बाद जब पटेल जी ने कश्मीर की तरफ रुख किया तो नेहरू जी ने कहा इसको मैं देखूगा , और उन्होंने ऐसा देखा की 370,35A लगा के भारत को ऐसा घाव दिया जिसे की भारतवासी आज भी भुगत रहे है। और आपको जान के हैरानी होगी की इसे(370,35A) सनसद के द्वारा नहीं लाया गया , संसद में इसकी चर्चा भी नहीं हुयी।  जैसा की आज कल कॉंग्रेस्सीं हर मुद्दे  पे चर्चा करने के लिए हल्ला करते है. इसे प्रेसडेंटिअल आर्डर के द्वारा लाया गया है। अगर भाजपा चाहे तो इसे फिर से प्रेसडेंटिअल आर्डर द्वारा ख़त्म करा सकती है लेकिन भाजप चाहती है  की इसे संसद के द्वारा ख़त्म किया जाये ताकि भविस्य में चलके फिर कभी इस्पे कोई हंगामा न हो। 
लेकिन जैसा की आप जानते है संसद के द्वारा कोई भी कानून बनाने के लिए दोनों सदनों में पूर्ण बहुमत होना चाहिए ,लेकिन बीजेपी के पास अभी सिर्फ लोकसभा में बहुमत है राज्यसभा में नहीं। ये  अभी भी  हट सकता था लेकिन कांग्रेस इस्पे समर्थन देने की लिए राज़ी  नहीं है।    हालाँकि अगले साल नवंबर, दिसंबर बीजेपी के पास राज्यसभा में  भी बहुमत हो जायेगा।  उसके बाद बीजेपी बिना विलम्ब किये इसे हटा देगी। 

आईये आपको बताते हैं कि धारा 370, 35A है क्या? जो देश के विशेष राज्य कश्मीर में लागू है।
1. जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है ।
2. जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है ।
3. जम्मू - कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकी भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है ।
4. जम्मू-कश्मीर के अन्दर भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है ।
5. भारत के उच्चतम न्यायलय के आदेश जम्मू - कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं ।
6. भारत की संसद को जम्मू - कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यंत सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है ।
7. जम्मू कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जायेगी। इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू - कश्मीर की नागरिकता मिल जायेगी।
8. धारा 370 की वजह से कश्मीर में RTI लागू नहीं है, RTE लागू नहीं है। CAG लागू नहीं होता। ...। भारत का कोई भी कानून लागू नहीं होता।
9. कश्मीर में महिलावो पर शरियत कानून लागू है।
10. कश्मीर में पंचायत के अधिकार नहीं।
11. कश्मीर में चपरासी को 2500 ही मिलते है।
12. कश्मीर में अल्पसंख्यको [ हिन्दू- सिख ] को 16 % आरक्षण नहीं मिलता ।
13. धारा 370 की वजह से कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते ह