तुम ने बदले हम से गिन गिन के लिये
हमने क्या चाहा था इस दिन के लिये - दाग़
वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसर
दिन गिने जाते थे इस दिन के लिये - अमीर मीनाई
(वस्ल = मिलन), (मुख़्तसर = थोड़ा, कम, संक्षिप्त)
वो नहीं सुनते हमारी, क्या करें
माँगते हैं हम दुआ जिन के लिये - दाग़
चाहने वालों से गर मतलब नहीं
आप फिर पैदा हुए किन के लिये - दाग़
बाग़बाँ, कलियाँ हों हलके रंग की
भेजनी हैं एक कमसिन के लिये - अमीर मीनाई
(बाग़बाँ = माली)
-दाग़ देहलवी/ अमीर मीनाई
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