Wednesday, 19 June 2019

International Yoga Day : Proud of India

भारत सरकार की वो पहल जिसे दुनिया ने अपनाया , UN को भी मानना पड़ा और 21 जून योग दिवस के रूप में  विश्व के इतिहास में दर्ज हो गया। ये किसी एक भारतीय की जित नहीं थी बल्कि भारतीय इतिहास की जित थी जिसे दुनिया ने माना।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस में कुछ ही दिन बचे हैं. अब तो दुनिया भर के लोग योग की तरफ उम्मीद से देखने लगे हैं. योग करना हर दिन की जरूरत है, लेकिन 21 जून के दिन ऐसा क्या खास है कि इसी दिन को इंटरनेशनल योगा डे चुना गया, यहां जानें वजह.

योग और भारत का   रिश्ता
योग भारत की प्राचीनतम खोजों में से एक है जिसकी उत्पत्त‍ि ही भारत में हुई थी. योग परंपरा तकरीबन 5000 साल पुरानी मानी जाती है. योग को हृदय और आत्मा के बीच सामंजस्य और संतुलन के साथ दिव्य ज्ञान प्राप्त करने के एक तरीके के रूप में डेवलप किया गया था.
आधुनिक समय में यह भी देखने में आ रहा है कि योग से मधुमेह यानी डाइबिटीज और हाई ब्लडप्रेशर जैसी बीमारियों का असर कम होता है. अब योग ने पश्चिमी दुनिया में भी अपना रास्ता खोज लिया है. अब भारत से बाहर दूसरी संस्कृतियों ने भी योग को अपना लिया है.

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: संक्षिप्त इतिहास
11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस या विश्व योग दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की. इसके बाद 2015 से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए योग के महत्व पर चर्चा की थी.

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस : साल दर साल ये रहे थीम
2015: सद्भाव और शांति के लिए योग Yoga for Harmony and Peace
2016: युवाओं को कनेक्ट करें Connect the youth
2017: स्वास्थ्य के लिए योग Yoga for Health
2018: शांति के लिए योग Yoga for Peace
2019: योगा फॉर हार्ट Yoga for Heart

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: 21 जून को मनाने की वजह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को अपने संबोधन के दौरान कहा कि यही वो तिथि है जब उत्तरी गोलार्ध में साल का सबसे लंबा दिन है, इसका दुनिया के कई हिस्सों में खास महत्व है.
21 जून ग्रीष्मकालीन संक्रांति का दिन होता है, इस दिन उत्तरी गोलार्ध में किसी ग्रह के अक्ष का झुकाव उस तारे की ओर सबसे अधिक झुका होता है जिसकी वह परिक्रमा करता है. हमारे मामले में यह पृथ्वी और सूर्य पर लागू होता है.
इसके अलावा 21 जून को वर्ष का सबसे लंबा दिन माना जाता है जिसमें सूर्य जल्दी उगता है और सबसे देर में सूर्यास्त होता है. भारतीय पौराणिक कथाओं में भी इसे खास दिन माना जाता है. इससे एक ऐसी घटना जुड़ी मानी जाती है जिसे योगिक विज्ञान की शुरुआत माना जा सकता है.
एक पौराणिक कथा के अनुसार सात लोग आदि योगी के पास आत्मज्ञान के लिए गए. लेकिन वे अपने शरीर में उपस्थित नहीं थे, इसलिए वे चले गए. फिर ये लोग शिव के पास गए और आदि योगी से सीखने की जिद पर अड़े रहे लेकिन शिव ने यह कहकर मना कर दिया कि इसके लिए लंबी तैयारी चाहिए.
वहां से निकलकर इन सात लोगों ने फिर 84 साल की साधना की. इस दौरान शिव का उन पर ध्यान गया, यह ग्रीष्मकालीन संक्रांति का दिन था. उसके 28 दिनों के बाद अगली पूर्णिमा पर आदि योगी ने खुद को आदि गुरु में बदल दिया और अपने शिष्यों को योग विज्ञान  सिखाना शुरू कर दिया.

अंत में यही कहना चाहूंगा की भारतीयों का , सनातन धर्म का जो मजाक उड़ाते थे , आज उन्हें भी मानना पड़ा की ये पूरी तरह से वैज्ञानिक है।  जो हमें सपेरों का देश  कहते थे आज योग को बेस्ट मेडिसिन मानते है। ये योग का ही तो कमल है की इसरो को भी मानना पड़ा की योगा बेस्ट मेडिसिन है।    

Tuesday, 18 June 2019

चमकी(मुजफ्फरपुर) : मुजफ्फरपुर का शोक

ये तो पिछले कई सालो से होते आ रहा है , जाने तो जाती रहती है  , हमारे घर का कोई थोड़े मरा है।  ऐसी कुछ सोच है नेताओ की।  उनके घर के लोगो के साथ ऐसा नहीं हुआ है इसलिए उन्हें सबक नहीं मिला है इस बात का की जान जाने का क्या मतलब होता है।

मुजफ्फरपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में मासूमों की मौत का आंकड़ा 36 तक पहुंच चुका है. अस्पताल में फिलहाल 117 बच्चे भर्ती हैं जिनका लगातार इलाज चल रहा है.

एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम जिसे आम बोलचाल की भाषा में चमकी बुखार या दिमागी बुखार भी कहा जाता है, इसकी वजह से पिछले कुछ दिनों में इस अस्पताल में मासूम बच्चों के पहुंचने का दौर जारी है.

अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ सुनील कुमार शाही ने आजतक से बातचीत करते हुए बताया कि दो दिन पहले अचानक से 25 मासूम बच्चे जिनकी उम्र एक साल से लेकर 10 साल के बीच थी इस अस्पताल में भर्ती हुए. डॉ. शाही ने ने बताया कि अब तक 117 बच्चे इस अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं, जिनमें से 36 की अब तक मौत हो चुकी है.

डॉक्टरों का मानना है कि चमकी बुखार अत्यधिक गर्मी और हवा में नमी 50 फीसदी से ज्यादा होने की वजह से होता है. जानकारों का मानना है कि इस साल प्रदेश में अब तक बारिश नहीं हुई है, जिसकी वजह से मासूम बच्चों के बीमार होने की संख्या लगातार बढ़ रही है.

पिछले डेढ़ दशक से इस बात को लेकर भी काफी शोध हुआ है कि मुजफ्फरपुर में लीची की उपज काफी होती है. क्या इस वजह से तो बच्चों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम की शिकायत तो नहीं हो रही है. श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के शिशु विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ. गोपाल शंकर साहनी का कहना है कि उन्होंने खुद इस विषय को लेकर काफी शोध किया है और पाया है कि इस बीमारी का लीची से कोई लेना देना नहीं है.

हालांकि, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. सुनील कुमार शाही का कहना है कि इस बात को लेकर और शोध होना चाहिए कि कहीं लीची की वजह से तो बच्चों में सालाना यह बीमारी नहीं देखी जा रही है.

ये कोई नई बात नहीं है। अभी तक अगर सरकार चाहती तो इसका समाधान किया जा सकता था।  लेकिन इच्छाशक्ति की कमी है . हर साल इतने बचो की बलि चढ़ती है।  लेकिन अभी तक इस बीमारी का समाधान नहीं किया जसका है।  जो भी अस्पताल है वह पर वो रिसोर्सेज ही नहीं है जिससे बच्चो की जान बचाई जा सके।
मरीज जमीं पर लेट के इलाज करा रहे है , अस्पताल में पंखा नहीं है लेकिन सरकार को क्या।  उनके घर का कोई मरीज थोड़े न है। 

Saturday, 8 June 2019

Kashmir 370 and 35A : The Wound of india

क्या है जम्मू-कश्मीर में लागू धारा 370,35A पूर्ण विवरण
Know about 370 act in Jammu
एक बार फिर से राजनीति गलियारे में धारा 370,35A को लेकर बहस छिड़ गयी है। कोई इसके पक्ष में है तो किसी के पास इसका विरोध करने के पर्याप्त आधार है। किसी को लगता है कि संविधान की इस धारा में संशोधन होना चाहिए तो किसी को यह बहस का मुद्दा लगता है।
यह बात उस समय की है जब देश का बिभाजन हुआ , और उसके बाद अलग अलग रजवाड़ो और रियासतों को हिंदुस्तान में विलय करने का आगाज हुआ , जिसकी जिम्मेदारी थी सरदार पटेल(तब के गृह मंत्री ) के कंधो पर।  अधिकतर रियासतों का विलय हिंदुस्तान  में हो गया ,लेकिन हैदराबाद के जो निज़ाम थे उन्होंने हिन्दुतान में विलय करने से मना कर दिया।  उनका कह था की वो हैदराबाद का विलय पाकिस्तान में करेंगे। तब  सरदार पटेल ने उन्हें मिलने के लिए दिल्ली बुलाया , वो आये और अपनी जिद्द पे अड़े रहे , और पटेल जी को अपनी  हनक दिखाने लगे।  
फिर  जो हुआ उनके हैदराबाद पहुंचने से पहले ही पटेल जी ने इंडियन आर्मी भेज के हैदराबाद को  अपने कब्जे में ले लिया। आख़िरकार  निजाम को माफ़ी मांगनी  पड़ी।  
जहा तक बात है कश्मीर की तो ये पाप नेहरू जी का किया हुआ है। सारी रियासतों को हिंदुस्तान में विलय कराने के बाद जब पटेल जी ने कश्मीर की तरफ रुख किया तो नेहरू जी ने कहा इसको मैं देखूगा , और उन्होंने ऐसा देखा की 370,35A लगा के भारत को ऐसा घाव दिया जिसे की भारतवासी आज भी भुगत रहे है। और आपको जान के हैरानी होगी की इसे(370,35A) सनसद के द्वारा नहीं लाया गया , संसद में इसकी चर्चा भी नहीं हुयी।  जैसा की आज कल कॉंग्रेस्सीं हर मुद्दे  पे चर्चा करने के लिए हल्ला करते है. इसे प्रेसडेंटिअल आर्डर के द्वारा लाया गया है। अगर भाजपा चाहे तो इसे फिर से प्रेसडेंटिअल आर्डर द्वारा ख़त्म करा सकती है लेकिन भाजप चाहती है  की इसे संसद के द्वारा ख़त्म किया जाये ताकि भविस्य में चलके फिर कभी इस्पे कोई हंगामा न हो। 
लेकिन जैसा की आप जानते है संसद के द्वारा कोई भी कानून बनाने के लिए दोनों सदनों में पूर्ण बहुमत होना चाहिए ,लेकिन बीजेपी के पास अभी सिर्फ लोकसभा में बहुमत है राज्यसभा में नहीं। ये  अभी भी  हट सकता था लेकिन कांग्रेस इस्पे समर्थन देने की लिए राज़ी  नहीं है।    हालाँकि अगले साल नवंबर, दिसंबर बीजेपी के पास राज्यसभा में  भी बहुमत हो जायेगा।  उसके बाद बीजेपी बिना विलम्ब किये इसे हटा देगी। 

आईये आपको बताते हैं कि धारा 370, 35A है क्या? जो देश के विशेष राज्य कश्मीर में लागू है।
1. जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है ।
2. जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है ।
3. जम्मू - कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकी भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है ।
4. जम्मू-कश्मीर के अन्दर भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है ।
5. भारत के उच्चतम न्यायलय के आदेश जम्मू - कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं ।
6. भारत की संसद को जम्मू - कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यंत सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है ।
7. जम्मू कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जायेगी। इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू - कश्मीर की नागरिकता मिल जायेगी।
8. धारा 370 की वजह से कश्मीर में RTI लागू नहीं है, RTE लागू नहीं है। CAG लागू नहीं होता। ...। भारत का कोई भी कानून लागू नहीं होता।
9. कश्मीर में महिलावो पर शरियत कानून लागू है।
10. कश्मीर में पंचायत के अधिकार नहीं।
11. कश्मीर में चपरासी को 2500 ही मिलते है।
12. कश्मीर में अल्पसंख्यको [ हिन्दू- सिख ] को 16 % आरक्षण नहीं मिलता ।
13. धारा 370 की वजह से कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते ह

Friday, 7 June 2019

Twinkle Sharma case detail

ट्वींकल शर्मा के साथ मोहम्मद ज़ाहिद ने जो किया... उसको लिखते कलम/हाथ  ... कांपती है... शरीर मे रक्तप्रवाह बढ़ जाता है ... आंखे नम हो जाती हैं...
ध्यान रखिए टप्पल और बिसरख(अखलाख ) में सिर्फ चंद किलोमीटर की दूरी है... ढाई वर्ष की ट्वींकल शर्मा पर रोने वाला कोई नहीं !.... बिसरख में अखलाख की हत्या पर सैकड़ों लोग... नेता बिसरख में जुट गए थे !... मुआवजे में कई फ्लैट मिले... नौकरियां मिली... नकद करोड़ों मिले... ट्वींकल के घर वाले लापता ट्वींकल की तलाश में 30 घण्टे प्रशासन के सामने माथा रगडते रहे.. जवाब मिला था.. "खुद ही ढूंढ लो "....
कुछ माह पूर्व जब ज़ाहिद के पिता बीमार हुए तो ट्वींकल के पिता/दादा बनवारी लाल ने ज़ाहिद को रु 50000 इलाज हेतु सहायता दी थी ! ज़ाहिद ने जल्द ही लौटा देने का वायदा किया... अनेक बार तकादा करने के बाद ज़ाहिद ने सिर्फ 45000 रु वापस किये... लेकिन 5000 रु वापस करने में आनाकानी शुरू कर दी ! बनवारी लाल शर्मा तकादा करते रहे !... रमज़ान का महीना होने का बहाना बनाया गया... बनवारी लाल भी निम्न मध्यम श्रेणी के व्यक्ति है सो उन्होंने अपना धन छोड़ने से इनकार कर दिया ! ज़ाहिद से कहा-सुनी हुई....
सुबह नौ बजे ढाई वर्षीय ट्वींकल शर्मा घर के सामने से गायब हो गई... बनवारी लाल ने प्रशासन के सामने ज़ाहिद के ऊपर शक भी ज़ाहिर किया... परंतु ज़ाहिद से सामान्य पूंछतांछ तक नहीं की गई !... तीस घंटे बाद टप्पल में ही एक कूड़े के ढेर में ट्वींकल शर्मा का शव मिला... कलेजा थाम लीजिए... ट्वींकल का बायां हाथ तोड़कर अलग कर दिया गया था,एक पैर मुड़ा हुआ था... ट्वींकल की दोनो आंखे निकाल ली गईं थी ! ट्वींकल के शरीर को तेज़ाब से जलाकर नष्ट करने या न पहचानने योग्य बनाने की कोशिश की गई थी ! ढाई वर्षीय ट्वींकल के साथ बलात्कार भी हुआ था !.... जिसने ट्वींकल के मृत शरीर को देखा ... सुध-बुध खो बैठा !!
अंततः केस दर्ज हुआ... पुलिस खोजी कुत्तों को लेकर आयी... कुत्तों ने ट्वींकल के शरीर को सूंघा और ज़ाहिद के घर की ओर दौड़ पड़े... प्रारंभिक न-नुकुर के बाद रोज़ा रखे.... ज़ाहिद ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया ! यह सामान्य हत्या नहीं थी... ट्वींकल के ऊपर जो कुछ हुआ साफ दर्शाता है कि ज़ाहिद एक धर्म विशेष के प्रति घ्रणा से ग्रसित था... वरना मुसीबत के समय रु 50000/- की मदद करने वाले बनवारी शर्मा की बेटी ट्वींकल को ऐसी घिनौनी मौत न देता... ज़ाहिद !
पोस्टमार्टम से ही यह पता चला कि ढाई वर्षीय ट्वींकल के ऊपर बर्बर बलात्कार भी हुआ था... लेकिन यह निष्कर्ष प्राप्त नहीं हुआ कि ज़ाहिद ने ट्वींकल के जिंदा रहते बलात्कार किया था या हत्या के बाद....
ऐसा तो पाकिस्तान और बांग्लादेश में नहीं होता है !... सोशल मीडिया में हाहाकार के बाद एक आध मीडिया हाउस ने बमुश्किल इस खबर को चलाया ! यही मीडिया अखलाख औऱ आसिफा को महीनों खींचता रहा था !
रोते रहिए... ज़ाहिद सरसब्ज़ होते रहेंगे !... ट्वींकल.... तेरी आत्मा को शांति के लिए प्रार्थना के हकदार भी नहीं हैं... हम !!